अ क्लर्जीमैन'स डॉटर (एक पादरी की बेटी) अंग्रेजी लेखक जॉर्ज ऑरवेल का १९३५ मे पहली बार प्रकाशित हुआ उपन्यास है।
उपन्यास की कहानी एक पादरी की बेटी डोरोथी हेयर के इर्द गिर्द घूमती है। डोरोथी का जीवन एकदम उलटा पुल्टा हो जाता है जब उसको भूलने की बीमारी का दौरा पड़ता है।
यह ऑरवेल का सबसे औपचारिक रूप से प्रायोगिक उपन्यास है, जिसमें एक अध्याय पूरी तरह से नाटकीय रूप में लिखा गया है, लेकिन वह इससे कभी संतुष्ट नहीं हुए और उन्होंने निर्देश छोड़ दिया कि उनकी मृत्यु के बाद इसे पुनर्मुद्रित नहीं किया जाए, यानी उनकी मृत्यु के बाद इस पुस्तक को फिर कभी ना छापा जाए।
इन निर्देशों को देने के बाद भी जॉर्ज ओरवेल ने कहा,"मेरी मौत के बाद मेरी किसी भी पुस्तक के सस्ते संस्करण ना छापे जाएँ जिनसे मेरे उत्तराधिकारियों को कुछ पौंड की कमाई हो सके!"